ऐसी तरकीब कोई दोस्त सुझाये मुझको

ऐसी तरकीब कोई दोस्त सुझाये मुझको
नींद भर सो लूँ कोई ख़्वाब न आये मुझको

मुश्किलें मुझ पे जब आयीं तो कई साथ आयीं
मुझसे डरती हैं वो क्यूँ, कोई बताये मुझको

ख़्वाब में सुल्ह का रस्ता तो निकल आएगा
नींद तो आये, तेरा ख़्वाब तो आये मुझको

डूब जाऊँ न सराबों में कहीं तश्नालब
अब्र सा कोई शनावर ही बचाये मुझको

ख़्वाब टूटे हैं जो, चुभते हैं मेरी आँखों में
डर है बेदाद निगाही न सताये मुझको

मेरी आँखों में उतर आये हैं जिसके आँसू
चाहता हूँ कि वही आ के हँसाये मुझको

क़ौल जब दे ही दिया है तो निभाऊँगा भी
बारहा अब न कोई याद दिलाये मुझको

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