मुमकिन है तुमको उसकी हक़ीक़त पता न हो
मुमकिन है तुमको उसकी हक़ीक़त पता न हो मुफ़लिस जो दिख रहा है कहीं वो ख़ुदा न हो मेरी किताबे ज़ीस्त के हैं सब वरक़ उदास शायद तुम्हारा लम्स उन्हें भी मिला न हो ग़म औ' खुशी के बीच मुअम्मा है ज़िन्दगी मुमकिन है फैसला अभी उसने किया न हो तू है ख़ुदाशनास तो संज़ीदगी दिखा यूँ ख़ुदनुमाई तेरी ख़ुदा देखता न हो इल्ज़ामे नारसाई से पहले ये सोच ले तेरा मुतालबा ही कहीं नारवा न हो कैसे दिखेगा चाँद मुकम्मल तुझे बता जब तक सहीह देखने का जाविया न हो इंसाफ क्या इसी को कहेगी अदालतें जिसने किया हो जुर्म उसी को सज़ा न हो उसकी उदासियों का पता ऐसे चल गया यूँ हँस रहा था जैसे कहीं कुछ हुआ न हो 221 2121 1221 212