मुमकिन है तुमको उसकी हक़ीक़त पता न हो
मुमकिन है तुमको उसकी हक़ीक़त पता न हो
मुफ़लिस जो दिख रहा है कहीं वो ख़ुदा न हो
मेरी किताबे ज़ीस्त के हैं सब वरक़ उदास
शायद तुम्हारा लम्स उन्हें भी मिला न हो
ग़म औ' खुशी के बीच मुअम्मा है ज़िन्दगी
मुमकिन है फैसला अभी उसने किया न हो
तू है ख़ुदाशनास तो संज़ीदगी दिखा
यूँ ख़ुदनुमाई तेरी ख़ुदा देखता न हो
इल्ज़ामे नारसाई से पहले ये सोच ले
तेरा मुतालबा ही कहीं नारवा न हो
कैसे दिखेगा चाँद मुकम्मल तुझे बता
जब तक सहीह देखने का जाविया न हो
इंसाफ क्या इसी को कहेगी अदालतें
जिसने किया हो जुर्म उसी को सज़ा न हो
उसकी उदासियों का पता ऐसे चल गया
यूँ हँस रहा था जैसे कहीं कुछ हुआ न हो
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