गया है मरु में कौन आब के लिए
गया है मरु में कौन आब के लिए
उलाहने है क्यों सराब के लिए
चमन में कौन ख़ार के लिए गया
गया है जो भी वो गुलाब के लिए
जो एक दूसरे के थे अदू वही
हुये हैं दोस्त बस शराब के लिए
बहुत खुलूस से निभाई दोस्ती-
भी टूटती है आबो ताब के लिए
नदी की मौज़ औ' रवानियाँ भी देख
इसे मिली हैं ये शबाब के लिए
तुम्हारे अश्क आ गए हैं ख़ुद ब ख़ुद
हमारी आँख में जवाब के लिए
न मेरे रुख़ पे खोजिये मुनाफ़रत
न है न थी कभी जनाब के लिए
हर एक ज़िंदगी है एक मुद्दआ
हर एक मौत के हिसाब के लिए
उदासियाँ जो ओढ़कर खड़े हैं आप
बहुत मुफ़ीद है हिजाब के लिए
1212 1212 1212
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