बात उठी जब उसके खारे पानी की

बात उठी जब उसके खारे पानी की
सागर  ने अपनी फ़ित्रत तूफ़ानी की

आख़िरकार ख़ुशी वो ख़ुद चलकर आई
इक अरसे तक जिसने आनाकानी की

कुदरत की हर चाल हमारे हक़ में थी
हार   गए   जब  हमने  बेईमानी  की

शरमाई तो बादल को ही ओढ़ लिया
सूरत उसमे जब उभरी उरियानी  की

मिलकर ख़ुश हो ये तो मैंने मान लिया
वज़ह  बताओ आँखों  में तुगियानी की

जाते   जाते   उसने  मुड़कर  देखा था
हमने  वो  सूरत  रख  ली  सैलानी की

इनके आज सवाल निरुत्तर  करते  हैं
जै  हो  नन्हें  बच्चों  की  नादानी   की

अनुचित है बच्चों को संजीदा करना
हद क़ाइम है क्या लुत्फ़े लासानी की

दौरे  नौ  के  बच्चों  की  है  सोच  नई
भाये  ख़ाक  कहानी  राजा  रानी  की

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