जो तू मिला तो बेसबात ज़िन्दगी ठहर गयी

जो तू मिला तो बेसबात ज़िन्दगी  ठहर  गयी
खफ़ा हुआ जो तू हमारी ज़िंदगी बिखर गयी

हमारे  हौसलों  से  मौत हार  मान  कर  गयी
वो छू के लौट कर गयी तो ज़िंदगी सँवर गयी

बड़ी अजीब सी कशिश है तेरी नफ़रतों में भी
न तू ने क़ैद ही किया न  तो  रिहा ही कर गयी

अमान पर न हो ख़मी किसी की भी निगाह में
उड़ा  दिये  कबूतरों  को हम जिधर नज़र गयी

फ़कीर को पता है अस्ल ज़िंदगी का हर पता
अमीर को ख़बर नहीं कब और क्यूँ किधर गयी

न  इब्तिदा  न  इंतिहा  में  मुब्तला  रहा मगर
ये  काइनात  क्यूँ  मुझे  ही दागदार कर गयी

हमें है रश्क साहिलों से, क्या नसीब उन्हें मिला
कि चूम कर जिन्हें समन्दरों की हर लहर गयी

हमें  वो  राह  ढूँढ़नी  है  जिस  पे राहबर न हों
हयात  रहजनो  को  ही  बना  के राहबर गयी

हर एक ज़हन में चराग़ जल उठे ख़ुशी के जब
हवा  तुझे  जो  छू के आयी पास से गुज़र गयी

1212 1212 1212 1212

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