बात होती है अयाँ आँख मिला कर देखो
बात होती है अयाँ आँख मिला कर देखो
दर्द माँ बाप से तुम अपना छुपा कर देखो
फड़फड़ाहट सी फ़िज़ाओं में बिखर जायेगी
शाख पर लौटे परिंदों को उड़ा कर देखो
गम सहोदर का किसी को भी रुला सकता है
तुम कभी राम का किरदार निभा कर देखो
गम ख़ुशी एक ही सिक्के के हैं दोनों पहलू
एक गर पास हो दूजे को भुला कर देखो
आँख में अश्क न हों और खुशी भी छलके
हार जाओगे, कभी दाँव लगा कर देखो
धूप में तनहा मुझे देख के ख़ुश क्यूँ हो तुम
साथ साया है मेरा उसको मिटा कर देखो
प्यार पर होता नहीं कोई असर नफ़रत का
आब में लगती नहीं आग लगा कर देखो
तुम भी परवाज़ की मुश्किल को समझ जाओगे
हाँथ में टूटा हुआ पर तो उठा कर देखो
है गुमां तुमको मिटा सकते हो हस्ती सबकी
अपने हाथों की लकीरों को मिटा कर देखो
Comments
Post a Comment