नाम से तुमको पुकारा जायेगा
नाम से तुमको पुकारा जायेगा
दर्द मेरा फिर उभारा जायेगा
इक न इक मेरा सहारा जायेगा
तुम मिलोगे, ग़म तुम्हारा जायेगा
मंज़िले मक़सूद तक दरिया के साथ
ज़ख्म खाकर भी किनारा जायेगा
दफ़्न हो जाओगे ख़ुद में तुम भी जब
क़ब्र में मुझको उतारा जाएगा
ग़म का सरमाया इकठ्ठा कर लिया
क़र्ज़ अब सबका उतारा जाएगा
ज़हन पर तारी रहेगी जब अना
दिल कभी तुमसे न हारा जायेगा
दे रहा है दिल मगर टूटा हुआ
कर के मुझको पारा पारा जायेगा
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