हमारे दरमियां शायद बची कोई कहानी है


हमारे दरमियां शायद बची कोई कहानी है
अभी पलकें न झपकाना, अभी आँखों में पानी है

उबलती रेत से उम्मीद की इतनी कहानी है
हमारे पाँव के छालों में भी थोड़ा सा पानी है

हमारा दिल किसी के वास्ते धड़के, अजी छोड़ो
उछलने कूदने की इसकी बीमारी पुरानी है

सुना तो था सराबों से घिरा होता है हर सहरा
मगर लगता है ये दुनिया तो नानी की भी नानी है

अगर चलना है मेरे साथ तो पहला सबक़ ये है
कि मेरा हर क़दम अज़्मत की मेरे तर्जुमानी है

कभी हम चाँद को मुट्ठी में लेकर सो भी जाते थे
मगर अब ज़हन में उस चाँद की झूठी कहानी है

अज़ीज़ अपने पुराने घर का हर कोना लगे मुझको
यहीं पैबस्त पुरखों की अभी तक हर निशानी है

कभी जब इंतिहा हो जाये ग़म की और रोना हो
किसी कोने में मुँह कर लो रवायत ये पुरानी है

तुम्हारे दोस्तों के बीच कुछ अय्यार भी होंगे
कहो उनसे ही हर वो बात जो दुश्मन को जानी है

मेरे चेहरे की रौनक़ छीन कर अच्छा किया तुमने
ज़रुरत ही कहाँ है, अब किसे सूरत दिखानी है

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