महरूम ख़ुद रहा जो सब में प्यार भर गया


जो ख़ुद न पा सका वो सब में प्यार भर गया
इक  चारागर  इलाज़  के  बग़ैर  मर   गया

अब और किस तरह बखान आपका करें
जब देखते ही आपको, चेहरा निखर गया

देखा जिसे उसी के दिल में हो गए मकीं
यूँ आईने में अक्स आपका उतर गया

थे साथ उसके जितने भी नजूम रात भर
देकर  सहर  को मुँह दिखाई  में क़मर गया

कैसे करे इलाज़ आख़िरश तेरा तबीब
देखा तुझे तो चारागर का सब हुनर गया

उसको अदब में फिर नहीं मिली कोई जगह
अपने मयार से जो अह्ले फ़न उतर गया

मौजूद तेरे आस पास ही है वो खुदा
जिसकी तलाश में तू जाने कितने दर गया

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