किनारा मौत ने जिस से किया हो

किनारा मौत ने जिस से किया हो
उसे फिर जिंदगी से क्यूँ गिला हो

करेंगे अब उन्ही पर हम भरोसा
जिन्हें पहले नहीं देखा सुना हो

कभी जब ज़िंदगी हम को मिलेगी
तो पूछेंगे कि "हमसे क्यूँ खफा हो"

न जाने नींद क्यूँ आती नहीं है
मेरे ख़्वाबों को शायद कुछ पता हो

धड़कता है बड़े आराम से दिल
मेरी साँसे ये जैसे गिन रहा हो

गुलाबी शम्स का चेहरा हुआ ज्यूँ
उसे शब से इशारा मिल गया हो

पढ़ा करता हूँ हाथों की लकीरें
मुआफ़िक मेरे शायद कुछ लिखा हो

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