दिल में दरिया के उतरकर हमसफ़र हो जायेगा

दिल में दरिया के उतरकर हमसफ़र हो जायेगा
अब्र पिघला  तो समुन्दर  का जिगर हो जायेगा

मुत्मइन हूँ एक दिन चूमेगी मंज़िल पाँव खुद
रास्ता  ही  जब  हमारा  राहबर  हो  जायेगा

प्यार वालिद का वलद समझेगा बस उस वक़्त जब
ख़ुद  भी  वो  फ़ज़्ले  ख़ुदा  से  बारवर  हो  जायेगा

है बरहना-पा मगर यह अज़्म देखो तिफ़्ल का
दम पे जिसके एक दिन वो नामवर हो जायेगा

फ़िक्र क्यूँ है जो खिजां में हो गया बेबर्गोबार
फिर बहारों में  शजर तू बासमर हो जायेगा

जज़्ब-ए-दिलगीर  की  शिद्दत  जो  ऐसी  ही  रही
ख़ुद ब ख़ुद दुश्मन भी उसका मो'तबर हो जायेगा

क्या मिलेगा ज़िन्दगी में बन के किस्मत का मुती'अ
बंदए  तक़दीर  तू  बेबालोपर  हो  जायेगा

ज़ह्र  ही  देना  हो  तो  देना  न  अपने  हाथ  से
हो  भले  ज़ह्रे-हलाहिल,  बेअसर  हो  जायेगा

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