अदू को मो'तबर कर लूँ यही अरमान बाक़ी है

अदू को मो'तबर कर लूँ यही अरमान बाक़ी है
भले कमज़ोर है लेकिन अभी तूफ़ान बाक़ी है

फलक पर कर चुका हूँ मैं रक़म अपनी कहानी सब
लिखा है अज़ सरे नौ सिर्फ़ इक उन्वान बाक़ी है

जहाँ थीं बस्तियाँ अब हैं वहाँ कंक्रीट के जंगल
रिहाइश के लिए बस शह्र इक वीरान बाक़ी है

मुक़द्दर के वरक़ पर कर दिया तूने रक़म क्या क्या
हर इक शै खो चुका हूँ सिर्फ़ अब ईमान बाक़ी है

अजब वाबस्तगी तेरे हमारे दिल में है पैहम
हमारे जिस्म में अब भी तू बनकर जान बाक़ी है

ज़ुबां पर तुम मिरी चाहे लगा दो क़ुफ़्ल सौ लेकिन
करोगे क्या, लबों पर जो मेरे मुस्कान बाक़ी है

चली है जानिबे दरियाए सहरा तिश्नगी मेरी
फ़राहम हो वहीं कुछ आब, ये इम्कान बाक़ी है

ख़ुदा बनने की चाहत में बना हर आदमी पत्थर
किसी भी आदमी में अब कहाँ इंसान बाक़ी है

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