हम तुम्हें छोड़ के जन्नत भी न जाने वाले


हम  तुम्हें  छोड़  के  जन्नत भी न जाने वाले
आबला   पा  के   लिए  फूल  बिछाने  वाले

तेरी दुनिया मेरी दुनिया से अलग क्या होगी
रस्मे  दुनिया  को हैं  हम  दोनों निभाने वाले

जी  न  उट्ठूँ  मैं  कहीं  लम्स तुम्हारा पाकर
मेरी   तस्वीर   को   सीने   से   लगाने  वाले

जिस्म  पर  मेरे  उभरते हैं तेरी याद के साथ
फिर   वही   ज़ख़्म   वही  दाग़  पुराने  वाले

तू जो कह दे तो दुबारा वो ख़ता फिर कर दूँ
जिसके  किस्से  नहीं  होते  हैं  सुनाने  वाले

ऐसा मुम्किन ही नहीं तुझसे बिछड़कर जां दूँ
बदगुमां  इतना  न  हो  छोड़  के  जाने  वाले

हम किसी और  के हो जाएँ, नहीं हो सकता
सब्र   थोड़ा   तो   करो  पास   बुलाने   वाले

हमने   देखे   हैं  कई  लोग   इसी  दुनिया  में
एक  ही   दिल   को  कई  ठौर  लगाने  वाले

आख़िरी ज़िद है तुम्हारी तो चलो मान लिया
सर   तुम्हारा   नहीं  शाने   से   हटाने   वाले

राख   पूरी  न   बहा  पाए  हैं  अहबाब   मेरी
लौटकर  घर   गए   सब   सोग  मनाने  वाले

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