तुम्हे आज़ाद करके दूँ ख़ुशी, उम्मीद मत रखना

तुम्हे आज़ाद करके दूँ ख़ुशी, उम्मीद मत रखना
बहाना दूँ  तुझे  कोई  कभी,  उम्मीद मत रखना

तसल्ली  दे  रहे हैं जो सुनाकर अपने अपने ग़म
कभी  इन ग़मगुसारों से कोई उम्मीद मत रखना

वज़ूद  अपना  बचा  पाते  नहीं  जो  टूटते  तारे
करेंगे  ख़्वाहिशें  पूरी  वही,  उम्मीद  मत रखना

जो कुदरत का घुटेगा दम कभी अह्ले-कुदूरत  से 
ज़मी पर तब भी होगी ज़िन्दगी,उम्मीद मत रखना

गुनाहों से तुम्हारे, रूह आजिज़ आएगी जिस दिन
छुपा  पाएगी  वो  नाराज़गी,  उम्मीद  मत  रखना

समुन्दर की तरह है मौज़जन ख़्वाबों का जो दरिया
मिटायेगा   तुम्हारी   तिश्नगी   उम्मीद  मत  रखना

तुम्हारे  लोग अदावत पर  कभी  होंगे जो  आमादा
शनासाई   करेगी   ख़ुदकुशी   उम्मीद  मत  रखना

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