ग़म देने में जो कंजूस रहा होगा
ग़म देने में जो कंजूस रहा होगा
वो इसका सरमायादार बना होगा
दाग़ उभर आये हैं तेरे चेहरे पर
आज किसीने तुमको चाँद कहा होगा
मेरा हिलना डुलना भी नामुमकिन है
उसने अपने दिल पर हाथ रखा होगा
जाने कैसे इतने लोग हुए घायल
ज़द पर तो बस मेरा जिस्म रहा होगा
अपने अपने ग़म आओ यकजा कर लें
मिलजुल कर ही सह लें तो अच्छा होगा
लड़की होगी या लड़का ये तुम सोचो
वो बस प्यारी होगी या प्यारा होगा
दे देकर दस्तक समझाया ख़ुद को ही
रोते रोते वो थक कर सोया होगा
कितने तारे टूटे कितने बाक़ी हैं
हर आशिक़ ने गिन कर बतलाया होगा
घूम घाम कर रुक जाएगी जब धरती
उस पल अम्बर से इसका मिलना होगा
Jan 8th 2018
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