नीमवा आँखें तुम्हारी कह रही हैं वो कहानी
नीमवा आँखें तुम्हारी कह रही हैं वो कहानी
जो गुज़िश्ता रात तुमने ख़ुद शुरू की थी सुनानी
साज़िशों में मुब्तिला थी साथ तेरे लौ दिये की
जो हमारी धड़कनों की कर रही थी तर्जुमानी
तेरे दिल की आहटें मुझको सुनाई दे रही थीं
और भरती जा रा रही थीं मेरे दिल में बदगुमानी
मैं उरूजे बख़्त पर हैरान आख़िर क्यूँ न होता
यक ब यक आसान कैसे हो गयी थी ज़िंदगानी
मुतमइन कब तक रहोगे रेत में गर्दन छुपा कर
मौत गैबी है किसी दिन आयेगी वो नागहानी
Comments
Post a Comment