तू भले मुझको अँधेरों में अकेला कर दे
तू भले मुझको अँधेरों में अकेला कर दे
मेरे साये को मेरे साथ ख़ुदाया कर दे
छीन ले तू भले आँखों से मेरी बीनाई
तू ही हर सिम्त नज़र आये कुछ ऐसा कर दे
कर दे ग़र्क़ाब मुझे तो भी कोई रंज नहीं
दस्तरस में तू सराबों को ख़ुदाया कर दे
शह्र की आबो हवा आज बहुत बरहम है
या ख़ुदा! शह्र के बाशी को फरिस्ता कर दे
दिल जो रखता है मेरा यार समुन्दर जैसा
उसके सीने में उतर जाऊँ वो दरिया कर दे
बाद मरने के ही क्यूँ मेरी सताइश होगी
मेरे जीते जी ख़ुदा इसका ख़ुलासा कर दे
मेरे अहबाब जो अब मुझसे खिंचे रहते है
मैं उन्हें याद बहुत आऊँ वो रस्ता कर दे
लोग उम्मीद बहुत करने लगे हैं मुझसे
फ़िक्रो फ़न को तू मेरे 'मीर' के जैसा कर दें
2122 1122 1122 22
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