अगर क़ुव्वत है तो पढ़ लो हमारी मुस्कराहट को

अगर  क़ुव्वत है तो  पढ़ लो  हमारी  मुस्कराहट को
झुकी पलकें बताओ सुन रही हैं किसकी आहट को

भले   मासूम   चेहरे  पर   निगाहें   थम   गयीं  मेरी
मगर  पढ़  तो चुका  हूँ तेरे मन की  छटपटाहट को

तसव्वुर  के  फ़साने  सब  अयाँ  हो  जायेंगे पल में
अगर  तुम  पढ़  सको  मेरे लबों की थरथराहट को

मुझे  दौरे  खिजां  को  भी  अभी  महसूस  करना है
सुनूँगा  बादे  सरसर   की   सुरीली  सरसराहट   को

तुझे  देखूँ   तो  रुकता  है   रगों  में  क्यों  लहू  मेरा
पटकता  हूँ  कि  पैरों से  मिटा  लूँ  झनझनाहट को

तुम्हारे दिल की बातें ख़ुद ब ख़ुद  ही नस्र हो जातीं
सुना  होता जो  मैंने  चूड़ियों  की  खनखनाहट को

तेरे    आँसू    लगे   झूठे    तेरी   बातें   लगीं   झूठी
किया  महसूस  जब तेरी ज़ुबां की लड़खड़ाहट को

मेरे  जज़्बात  के  बादल  बरस  जाने को आतुर  हैं
सुनो दिल पर लगाकर कान इनकी गड़गड़ाहट को

शेषधर तिवारी
25th June, 2018

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